लखनऊ (उत्तर प्रदेश). फर्रुखाबाद के शहर मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर करथिया गांव है। गुरुवार शाम को एक हत्यारे द्वारा 23 बच्चों को घर में बंधक बनाने के बाद यह गांव सुर्खियों में आ गया। करीब 8 घंटे बाद पुलिस ने बंधक बनाए गए 10 से 12 साल के बच्चों को ऑपरेशन चलाकर पुलिस ने मुक्त कराया। ऑपरेशन के दौरान हत्यारा सुभाष बाथम मार गया। उसकी पत्नी को रुबी को ग्रामीणों ने पीट दिया। इसमें वह बुरी तरह जख्मी हो गई और बाद में अस्पताल में उसकी मौत हो गई। हत्यारे ने जिस बच्ची के बर्थडे के बहाने बच्चों को घर पर बुलाया था। वह अभी पुलिस के पास है।
घर में बने तहखाने में बंद किया बच्चों को
सुभाष के घर से सकुशल बचकर बाहर आए 12 साल के विनीत ने बताया, 'जब हम सब लोग सुभाष बाथम के घर पहुंच गए तो उसने दरवाजा बंद कर दिया। हम सभी बच्चों को तहखाने में लेकर चला गया। वहां पर उसने सभी से कहा कि कोई रोया तो बारूद से उड़ा दूंगा। कुछ बच्चे रोने लगे तो उसकी पत्नी बच्चे को समझाती थी। यही नहीं, जब सुभाष बच्चों पर गुस्सा करता तो वह उसे भी समझाने की कोशिश करती थी। उसने बच्चों के साथ मारपीट नहीं की। हालांकि, बार-बार वह बच्चों को धमका जरूर रहा था।'
बच्चों के सामने सुभाष ने शराब भी पी
सुभाष जब छत पर पहुंचा तो उसने गांव के व्यक्ति से बच्चों के नाम पर बिस्किट और अपने लिए शराब मंगाई थी। कुछ बिस्किट बच्चों को दिए तो कुछ खुद खाए। बच्चों के सामने ही लगातार शराब भी पीता रहा। एक अन्य बच्चे बहादुर ने बताया कि उसकी पत्नी भी उससे डरी हुई लग रही थी। लेकिन, वह जो भी कह रहा था वह उसकी बात मान रही थी। उसकी पत्नी बार-बार सभी बच्चों को तसल्ली दे रही थी कि थोड़ी देर में छूट जाओगे। अभी छूट जाओगे।
हत्यारे ने बच्चे की बर्थडे का केक काटा था
गांव की एक अन्य महिला सोनी का 5 साल का बेटा थी सुभाष के घर में बंधक बनाए बच्चों में था। सोनी ने बताया कि जब काफी देर तक मेरा बच्चा नहीं लौटा तो हम उसके घर गए। वहां दरवाजा खटखटाया, लेकिन दरवाजा खुला नहीं। थोड़ी देर बाद हत्यारे सुभाष ने घर की छत से धमकी देनी शुरू कर दी। बोला डीएम-एसपी को बुलाओ। हम लोग डर गए। गांव में उसके करीबी को समझाने के लिए भेजा। लेकिन उसे भी गोली मार दी। सोनी ने बताया कि बच्चों को बंधक बनाने के दौरान ही सुभाष ने अपने बच्चे का बर्थडे भी बनाया था और बच्चों को केक भी खिलाया था।
करथिया गांव में कल 'रात' नहीं हुई
ग्रामीण बताते हैं कि आमतौर पर 6-7 बजे के बाद गांव में सन्नाटा हो जाता था। लेकिन, गुरुवार रात को यहां रात ही नहीं। बच्चों को बंधक बनाए जाने की खबर पर आसपास के गांव के करीब 5 हजार लोग पहुंच गए थे। गांव के भी लगभग सभी पुरुष वहां पहुंच गए थे। 200-250 तक पुलिसकर्मी भी पहुंच गए थे। खबर जैसे ही सुर्खियों में आई आसपास के जिलों के मीडिया वाले भी पहुंच गए। स्थिति यह थी कि गांव की जो दुकानें शाम ढलते ही बंद हो जाती थी, वह भी रात भर खुली रही।
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