Tuesday, January 21, 2020

सबसे दुर्लभ प्रतिमाओं में से एक है दंतेवाड़ा के गणेश, तीन हजार फीट की ऊंचाई पर है स्थापित

जीवन मंत्र डेस्क. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में दो मंदिर प्रसिद्ध हैं, एक मां दंतेश्वरी काली मंदिर और दूसरा ढोलकल गणपति का मंदिर। दंतेवाड़ा से करीब 13 किमी दूर ढोलकल की पहाड़ियों पर लगभग 3000 फीट की ऊंचाई पर सैकड़ों साल पुरानी यह भव्य गणेश प्रतिमा आज भी लोगों के लिए आश्चर्य का विषय बनी हुई है। ये दुनिया में भगवान गणपति की सबसे दुर्लभ प्रतिमाओं में से एक मानी जाती है। इन्हें दंतेवाड़ा का रक्षक भी कहा जाता है।

ये प्रतिमा लगभग एक हजार साल पुरानी है, जो नागवंशी राजाओं के काल में बनाई गई थी। सदियों पहले इतने दुर्गम इलाके में इतनी ऊंचाई पर स्थापित की गई यह गणेश प्रतिमा आश्चर्य के कम नहीं है। यहां पर पहुंचना आज भी बहुत जोखिम भरा काम है। पुरातत्वविदों का अनुमान यह है 10वीं-11वीं शताब्दी में दंतेवाड़ा क्षेत्र के रक्षक के रूप नागवंशियों ने गणेश जी की यह मूर्ति यहां पर स्थापना की थी।

  • भव्य है गणेश प्रतिमा

पहाड़ी पर स्थापित गणेश प्रतिमा लगभग 3-4 फीट ऊंची ग्रेनाइट पत्थर से बनी हुई है। यह प्रतिमा वास्तुकला की दृष्टि से बहुत ही कलात्मक है। गणपति की इस प्रतिमा में ऊपरी दाएं हाथ में फरसा, ऊपरी बाएं हाथ में टूटा हुआ एक दंत, नीचे दाएं हाथ में अभय मुद्रा में अक्षमाला धारण किए हुए तथा नीचे बाएं हाथ में मोदक धारण किए हुए हैं। पुरातत्वविदों के मुताबिक इस प्रकार की प्रतिमा बस्तर क्षेत्र में कहीं नहीं मिलती है।

  • यहां गिरा था गणपति का युद्ध में टूटा हुआ दांत

दंतेश का क्षेत्र (वाड़ा) को दंतेवाड़ा कहा जाता है। इस क्षेत्र में एक कैलाश गुफा भी है। इस क्षेत्र से जुड़ी एक मान्यता है कि यह वही कैलाश क्षेत्र है, जहां पर श्रीगणेश एवं परशुराम के बीच युद्ध हुआ था। इस युद्ध में गणपति का एक दांत टूटकर यहां गिरा था। तभी गणपति का एकदंत नाम भी पड़ा। यहां पर दंतेवाड़ा से ढोलकल पहुंचने के मार्ग में एक ग्राम परसपाल मिलता है, जो परशुराम के नाम से जाना जाता है। इसके आगे ग्राम कोतवाल पारा आता है। कोतवाल का अर्थ होता है रक्षक।

  • दंतेवाड़ा क्षेत्र के रक्षक है श्रीगणेश

मान्यताओं के अनुसार, इतनी ऊंची पहाड़ी पर भगवान गणेश की स्थापित नागवंशी शासकों ने की थी। गणेश जी के उदर पर एक नाग का चिन्ह मिलता है। कहा जाता है कि मूर्ति का निर्माण करवाते समय नागवंशियों ने यह चिन्ह भगवान गणेश पर अंकित किया होगा। कला की दृष्टि से यह मूर्ति 10-11 शताब्दी की (नागवंशी) प्रतिमा कही जा सकती है।



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Ganesh of Dantewada is one of the rarest statues, installed at an altitude of three thousand feet.


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