जीवन मंत्र डेस्क. हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्णपक्ष में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहते हैं। इस दिन मनुष्य को मौन रहना चाहिए और गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। इसलिए इस दिन मौन रहकर व्रत करने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है।
- इस दिन मनु ऋषि का जन्म दिवस भी मनाया जाता है। ऋषियों व पितृों के निमित्त की गई पूजा, जलार्पण व दान करने के लिए यह दिवस उत्तम फलदायी होता है। यह अमावस्या इस बार इसलिए खास मानी जा रही है, क्योंकि अमावस्या तिथि पर ही शनि देव का जन्म हुआ है और इसी दिन शनि धनु से मकर राशि में प्रवेश कर रहा है।
अमावस्या कब से कब तक
मौनी अमावस्या 23-24 जनवरी मध्यरात्रि से 24-25 जनवरी मध्यरात्रि तक रहेगी। माघ मास में होने वाले स्नान का सबसे महत्वपूर्ण पर्व अमावस्या ही है। इस दिन स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है। इस बार यह 24 जनवरी को है। माघ अमावस्या के दिन किए जाने वाले धार्मिक कर्म, व्रत और नियम इस प्रकार हैं-
होती है मोक्ष की प्राप्ति
इस दिन प्रातःकाल स्नान नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्ध्य देना चाहिए। इस दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए। गरीब व भूखे व्यक्ति को भोजन जरूर कराएं।
माघ अमावस्या का महत्व
इस दिन भगवान विष्णु और शिव दोनों की पूजा का विधान है। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है और अमावस्या के दिन चंद्र दर्शन नहीं होते हैं। इसलिए इस दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम में रखने का विधान है।
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