Wednesday, January 29, 2020

175 साल बाद वसंत पंचमी पर मंगल, शनि और गुरु ग्रह का योग, इस दिन से नई विद्या सीखना शुरू करें

जीवन मंत्र डेस्क. गुरुवार, 30 जनवरी को माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी है, इस तिथि वसंत पंचमी मनाई जाती है। ये दिन देवी सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसे वागीश्वरी जयंती और श्रीपंचमी भी कहा जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार बसंत पंचमी पर दोपहर 1.30 बजे से सर्वार्थ सिद्धि का योग भी रहेगा। मंगल स्वराशि वृश्चिक में, गुरु स्वराशि धनु में, शनि स्वराशि मकर में, शुक्र मित्र राशि कुंभ में, राहु-केतु भी मित्र राशि में रहेंगे। ग्रहों के योगों में वसंत पंचमी का आना शुभ फलों में वृद्धि में करने वाला है।

  • 175 साल पहले बना था ऐसा योग
2020 से पहले वसंत पंचमी पर ग्रहों का ऐसा योग 175 वर्ष पहले 1845 को बना था। उस समय मंगल स्वराशि वृश्चिक में, शनि स्वराशि मकर में और गुरु भी स्वराशि में था, गुरु उस समय मीन राशि में था। साथ ही, इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग भी बना है।
  • विद्यार्थियों के लिए शुभ दिन है वसंत पंचमी
शिक्षा से संबंधित काम करने वाले और विद्यार्थियों के लिए ये वसंत पंचमी बहुत ही श्रेष्ठ फल देने वाली है, इस योग में विद्यार्थियों को कोई नई विद्या का सीखना शुरू करना चाहिए। पं. शर्मा के अनुसार वसंत पंचमी पर शुरू की गई नई विद्या से जल्दी ज्ञान मिलता है और उस का उपयोग हम जीवन में कर पाते हैं।
  • प्राचीन काल में आद्यशक्ति ने स्वयं को पांच भागों में बांटा था

पं. शर्मा के मुताबिक जब ब्रह्माजी ने इस सृष्टि की रचना की, उस समय देवी मां यानी आद्यशक्ति ने स्वयं को पांच भागों में विभाजित किया था। ये पांच भाग यानी स्वरूप हैं राधा, पद्मा, सावित्रि, दुर्गा और सरस्वती। ये शक्तियां भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न अंगों से प्रकट हुई थी। उस समय भगवान के कंठ से प्रकट होने वाली देवी ही सरस्वती थीं। भगवती सरस्वती सत्तवगुण संपन्ना हैं। इनके अनेक नाम हैं। देवी को वाक, वाणी, गिरा, गी:, भाषा, शारदा, वाचा, धीश्वरी, वाग्देवी आदि कई नामों से जाना जाता है।

  • सार्वजनिक स्थानों पर नहीं किया जाता देवी का पूजन
देवी सरस्वती का पूजन कभी भी सार्वजनिक स्थानों पर में नहीं किया जाता है। देवी की देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। शास्त्रों में वाग्देवी का पूजन यानी अराधना व्यक्तिगत रूप से ही करने का विधान बताया गया है। देवी भागवत के अनुसार श्रीं ह्रीं सरसवत्यै स्वाहा। इस अष्टाक्षर मंत्र से देवी का पूजन करना चाहिए। देवी सरस्वती की उत्पत्ति सत्वगुण से हुई है। इसीलिए वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और उनके पूजन में सफेद वस्तुओं का ही प्रयोग करना चाहिए। इसी दिन से छोटे बच्चों का विद्याध्यन शुरू कराना चाहिए।
  • सभी ऋषियों ने प्रसन्न किया है देवी सरस्वती को
देवी भागवत और ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार सभी ऋषियों ने देवी सरस्वती को प्रसन्न किया था। प्रसन्न होकर देवी ने ऋषियों को वाक्सिद्धि प्रदान की। देवी की प्रसन्नता की वजह से ही ऋषियों ने कई ग्रंथों की रचना की। महाकवि कालिदास ने सरस्वती मां के काली स्वरूप में उपासना की थी। इसके बाद कालिदास से विश्वकवि के रूप प्रसिद्ध हुए। तुलसीदासजी ने भी देवी सरस्वती और गंगा को एक समान पापहारिणी और अविवेक हारिणी बताया था।
  • देवी सरस्वती की प्रसन्नता के बाद ही महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं

देवी सरस्वती विद्या की देवी है और विद्या को सभी प्रकार के धनों में श्रेष्ठ माना गया है। विद्या से ही अमृतपान किया जा सकता है। जिस व्यक्ति पर देवी सरस्वती प्रसन्न होती हैं, उसे महालक्ष्मी की भी प्रसन्नता मिल जाती है। विद्या से ही धन अर्जन किया जा सकता है। इसीलिए सभी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाओं और धन की प्राप्ति विद्या प्राप्त करने के बाद ही होती है।

  • वसंत पंचमी के योगों का राशिफल और इस दिन राशि अनुसार क्या करें

मेष- आय कमजोर रहेगी और किसी से सहयोग की अपेक्षा बेकार जाएगी। कार्य में बाधाएं आएंगी। सरस्वतीजी के को शहद का भोग लगाएं। केसरी वस्त्र धारण करें।
वृषभ- भाग्य वृद्धि होगी। कार्य की अधिकता रहेगी और धन लाभ मिलेगा। मित्रों का सहयोग मिलेगा। शुभ सूचनाएं और पद लाभ मिलेगा। सरस्वतीजी को मिठाई का भोग लगाएं। श्वेत वस्त्र धारण करें।
मिथुन- समयानुसार कार्य पूरे होंगे, आर्थिक लाभ भी मिलेगा। सहयोग की प्राप्ति होगी। नई योजनाएं सफल होंगी। संतान से सुख की प्राप्ति होगी। सरस्वती को मूंग के हलवे भोग लगाएं। हरे वस्त्र धारण करें।
कर्क- स्थितियां नियंत्रण में नहीं रहेंगी। कुछ दिनों बाद समय अनुकूल होने की संभावना है। सरस्वतीजी को दही का भोग लगाएं। श्वेत वस्त्र धारण करें।
सिंह- अज्ञात-भय और चिंता बनी रहेगी। खर्च की अधिकता रहेगी। यात्रा में कष्ट हो सकता है। शेष समय पक्ष का रहेगा। सरस्वतीजी को गाजर के हलवे का भोग लगाएं। लाल वस्त्र धारण करें।
कन्या- संतान से सुख मिलेगा। लाभ वृद्धि होगी। मंगलवार को कार्य में देरी और बुधवार को यात्रा का योग है। सतर्क रहना होगा। विवाद से दूर रहें। सरस्वतीजी को घी का दीपक लगाएं। पीले वस्त्र धारण करें।
तुला- आपके लिए अभी का समय चिंताजनक रहेगा। कुछ दिनों बाद आय में वृद्धि हो सकती है। सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी। सरस्वतीजी को इत्र अर्पित करें और श्वेत वस्त्र धारण करें।
वृश्चिक- सुख में कमी हो सकती है। परिवार से वैचारिक मतभेद हो सकता है। आय भी कमजोर रहेगी। सरस्वतीजी को फलों का भोग लगाएं और केसरी वस्त्र धारण करें।
धनु- अच्छा समय आरंभ हुआ है। सफलता प्राप्त होगी। आय भी अच्छी बनी रहेगी। योजनाएं सफल होंगी। सरस्वतीजी को दूध का भोग लगाएं एवं नारंगी वस्त्र धारण करें।
मकर- कार्यों में सफलता मिलेगी, प्रसन्नता रहेगी। पुराने अटके काम शुरू हो सकते हैं। आर्थिक सुधार होगा। सरस्वतीजी को मक्खन का भोग लगाएं और पीले वस्त्र धारण करें।
कुंभ- समय अच्छा रहेगा। कार्य के उत्साह के साथ कर पाएंगे। आर्थिक स्थितियों में सुधार रहेगा। समस्याओं का समाधान होगा। सरस्वतीजी को चने-गुड़ का भोग लगाएं एवं पीले वस्त्र धारण करें।
मीन- व्यय की अधिकता हो सकती है। मामले उलझ सकते हैं। बेकार की उलझनें हो सकती हैं। आय बढ़ेगी और कार्य में तेजी आएगी। सरस्वतीजी को मीठे चावल का भोग लगाएं। पीले वस्त्र धारण करें।



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