Thursday, January 23, 2020

175 साल बाद मकर राशि में सूर्य, शनि, बुध के योग में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 25 जनवरी से

जीवन मंत्र डेस्क. शनिवार, 25 जनवरी से माघ मास की गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है। हिन्दी पंचांग के अनुसार एक वर्ष में कुल चार नवरात्रि आती हैं, माघ मास, चैत्र मास, आषाढ़ मास और आश्विन माह में। ये चारों नवरात्रि ऋतुओं के संधिकाल में आती हैं। इनमें से माघ और आषाढ़ मास की नवरात्रि गुप्त होती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जब भी मौसम बदलता है तो हमें खानपान में सावधानी रखनी होती है। नवरात्रि में व्रत-उपवास करने से ऋतु बदलते समय मौसमी बीमारियों से सुरक्षा हो जाती है। इस साल गुप्त नवरात्रि की शुरुआत में ग्रहों के अद्भुत संयोग बन रहे हैं। 25 जनवरी को सूर्य, बुध, शनि और चंद्र मकर राशि में रहेंगे। इससे पहले इन ये ग्रहों के मकर राशि में रहते हुए गुप्त नवरात्रि 175 साल पहले 7 फरवरी 1845 मनाई गई थी। इस नवरात्रि से पहले शनि का राशि परिवर्तन हुआ है। जानिए गुप्त नवरात्रि से जुड़ी खास बातें…

दस महाविद्याओं के लिए की जाती है साधना

भक्ति संबंधी साधनाओं के लिए यह नवरात्रि का समय श्रेष्ठ होता है। गुप्त नवरात्रि दस महाविद्या में विशेष रूप से दस महाविद्याओं के लिए साधना की जाती है। इनके नाम है, मां काली, तारा देवी, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी। इन गुप्त साधनाओं के लिए कठीन नियमों का पालन करना होता है। इसीलिए बिना जानकारी के अथवा योग्य गुरु की शिक्षा के बिना इन साधनाओं को नहीं करना चाहिए।

30 साल बाद गुप्त नवरात्रि में शनि मकर राशि में

इस बार 30 वर्षों के बाद गुप्त नवरात्रि में शनि अपनी स्वयं की मकर राशि में है। 23 जनवरी की रात शनि ने धनु से मकर राशि में प्रवेश किया है। गुरु अपनी स्वयं की धनु राशि में है। मंगल भी अपनी वृश्चिक राशि में रहेगा। मकर राशि में चार ग्रह सूर्य, बुध, शनि एवं चंद्र रहेंगे। इससे पूर्व 175 साल पहले 7 फरवरी 1845 को ऐसा संयोग बना था। इस समय गुरु अपनी स्वयं की राशि धनु में नहीं बल्कि मीन में था।

नवरात्रि में करें देवी के नौ स्वरूपों की पूजा

नवरात्रि में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री, इन नौ स्वरूपों की विशेष पूजा अलग-अलग दिन की जाती है।
मां शैलपुत्री को गाय के घी से बने सफेद व्यंजनों का भोग लगाना चाहिए।

  • ब्रह्मचारिणी मिश्री जैसे मीठे भोग लगाने चाहिए। इनकी पूजा में मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाएं।
  • मां चंद्रघंटा को दूध से बनी चीजें जैसे खीर, रसगुल्ला और मेवे से बनी मिठाइयां चढ़ा सकते हैं।
  • मां कूष्मांडा को शुद्ध देसी घी से बने मालपुए का भोग देवी मां के इस स्वरूप को लगाना चाहिए।
  • मां स्कंदमाता को केले अर्पित करना चाहिए।
  • मां कात्यायनी को शुद्ध शहद का भोग लगाकर पूजन करना चाहिए।
  • मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बने व्यंजन चढ़ाना चाहिए।
  • मां महागौरी को नारियल चढ़ाना चाहिए।
  • मां दुर्गा को हलवा-पूरी अर्पित कर सकते हैं। नवरात्रि के अंतिम दिन छोटी कन्याओं को हलवा-पुरी वितरीत करना चाहिए।


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