दीप पर्व दिवाली पर भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। लगातार पाकिस्तानी सेना LOC पर सीज फायर का उल्लंघन कर रही है। भारतीय सेना भी मुंहतोड़ जवाब दे रहे। इन सब के बीच सरहद से सटे गांवों में हजारों लोग कैद होने के लिए मजबूर हो गए हैं। कई नागरिकों की मौत के बाद गांवों में मातम पसर गया है। यही कारण है कि इस बार गांव के लोग दिवाली भी नहीं मना पाएंगे।
पिछले 7 दिनों से पाकिस्तान ने माहौल खराब किया
जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान के साथ लगती 720 किलोमीटर लम्बी नियंत्रण रेखा (LOC)है। जो जम्मू के अखनूर सेक्टर से लद्दाख के कारगिल सेक्टर तक है। यहां जम्मू के पुंछ और राजौरी जिले, कश्मीर का उड़ी सेक्टर और बारामुल्ला जिले पर पाकिस्तान की तरफ से हमेशा गोलीबारी होती रहती है। कोरोना काल में पाकिस्तान की तरफ से होने वाले सीज फायर की उल्लंघन में कुछ कमी जरूर आई थी, लेकिन पिछले 7 दिनों से यह एक बार फिर से बढ़ गई है। इस बीच 12 से 15 बार पाकिस्तान ने सीज फायर का उल्लंघन किया है।
दिवाली पर मिठाइयां दी जाती थीं, आज गोलियां बरसाई जा रहीं
लंबे समय से यह परंपरा रही है कि दिवाली पर LOC पर तैनात भारतीय जवान पाकिस्तानी सेना को मिठाइयां देते थे। लेकिन अब दोनों तरफ से गोलियां बरसाई जा रहीं हैं। उत्तरी कश्मीर के उड़ी सेक्टर में सेना के जवान शहीद हुए हैं। वहीं, जम्मू के पुंछ के सौजियां इलाके में करीब 9 महीने बाद गोलीबारी हुई। इसमें 6 स्थानीय नागरिकों की मौत हो गई। कई लोग घायल भी हैं।
दीवाली की खरीददारी कर रहे थे और शुरू हो गई गोलीबारी
शुक्रवार को लोग दीवाली की खरीददारी कर रहे थे। इसी बीच, पाकिस्तान की तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई। पाकिस्तान ने स्थानीय लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। उड़ी सेक्टर के रहने वाले गुलाम अहमद का घर LOC पर ही है। कहते हैं हर बार पाकिस्तान यहां आम नागरिकों को निशाना बनाता है। अगर उसे लड़ाई करनी है तो सेना से करे। आम लोगों को क्यों निशाना बना रहा है?
हालात खराब है, लोग डरे हुए हैं
पुंछ के राम कुमार दत्ता कहते हैं। कोरोना के दौरान कुछ आराम था। मार्च के बाद से गोलीबारी रुकी हुई थी। अब फिर से शुरू हो गई है। यहां हालात काफी खराब है। पाकिस्तान हमेशा आतंकी घुसपैठ करवाने के लिए गोलीबारी करता है। लेकिन दिवाली पर ऐसी गोलीबारी पहली बार हुयी है। वहीं, सौजियां के ही मोहम्मद इस्माइल का कहना है कि हालत तो खराब है ही, यहां सुविधाएं भी कम हैं। लोगों को ले जाने के लिए एंबुलेंस भी नहीं है।
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मंदिरों के शहर कांचीपुरम में श्री कांची कामाक्षी अम्मन मंदिर में दीपावली उत्सव बहुत खास है। रोशनी, शंखनाद, फूलों की महक, नादस्वरम जैसे दक्षिण भारतीय साजों के स्वर के बीच मंत्रोंच्चारण का माहौल देवलोक सा अहसास करवा रहा है। यह इकलौती ऐसी शक्तिपीठ है, जिसमें कामाक्षी मां की एक आंख में लक्ष्मी और दूसरी में सरस्वती का वास है। एक प्रतिमा की पूजा लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के रूप में की जाती है।
आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित श्रीचक्रम सिर्फ यहीं हैं। मंदिर के प्रमुख श्रीकार्यम शास्त्री चेल्ला विश्वनाथ बताते हैं कि अयोध्या के राजा दशरथ महर्षि वशिष्ठ के कहने पर संतान प्राप्ति के लिए मां कामाक्षी की पूजा करने आए थे। यहां के 24 खंभों में से एक की पूजा के समय उन्हें मां की आवाज सुनाई दी कि एक वर्ष के भीतर उन्हें संतान प्राप्ति होगी। इस खंभे को संतान स्तंभ के तौर पर आज भी पूजा जाता है।
मां लक्ष्मी की सिंदूर से पूजा करने की कहानी
यहां मां लक्ष्मी की पूजा सिंदूर लगाकर करने के पीछे मान्यता है कि किसी विवाद के चलते विष्णु ने लक्ष्मी को कुरूप होने का श्राप दिया था। मां कामाक्षी की पूजा कर उन्होंने श्राप से मुक्ति पाई थी। उसी समय मां कामाक्षी ने कहा था कि वह यहां लक्ष्मी के साथ विराजेंगी। उन्हें चढ़ने वाले प्रसाद से लक्ष्मी की भी पूजा होगी, लेकिन लक्ष्मी को यहां आने वालों की मनोकामना पूरी करनी होगी। कामाक्षी को प्रसाद में सिंदूर चढ़ता है जो लक्ष्मी को चरणों से शीश तक लगाया जाता है।
माता-पिता की मौत के सालभर तक यहां नहीं आ सकते
दीपावली पर यहां की परंपरा अन्य लक्ष्मी मंदिरों से अलग है। परंपरा के मुताबिक अगर किसी के माता-पिता या दोनों में से किसी एक की मौत हो जाए तो वो सालभर मां कामाक्षी के दर्शन करने नहीं आ सकता है। इसीलिए, दीपावली पर उत्सव कामाक्षी की पालकी गली-गली में परिक्रमा करती है। उनके दर्शन के लिए लोग घर के बाहर खड़े रहते हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी बताते हैं कि मां के पास 1000 करोड़ रुपए से अधिक के बेशकीमती गहने हैं। शृंगार में इस्तेमाल होने वाली मालाएं भी केसर, बादाम, काजू, कमल, चमेली, ऑर्किड, गुलाब से बनी होती हैं। 15-20 किलो की ये मालाएं 5 लाख रुपए में तैयार होती हैं।
20 किलो सोने से बने रथ पर मंदिर भ्रमण करती हैं मां
यहां मंदिर का वैभव देखते ही बनता है। मंदिर का मुख्य गुंबद 76 किलो सोने से बना है, जबकि नवरात्रि व कई अन्य अवसरों पर जिस रथ पर मां कामाक्षी सवार होती हैं वह 20 किलो सोने से बनाया गया है। हर साल मंदिर में भक्त 50 करोड़ रुपए का चढ़ावा चढ़ाते हैं। एक दिन में करीब दस हजार श्रद्धालु आते हैं। कामाक्षी का यह रूप आठ साल की कन्या का रूप है। अविवाहित पंडित मां की मूर्ति को नहीं छू सकते हैं। यहां केवल विश्वामित्र और भारद्वाज गोत्र के पंडितों को ही पूजा करने की आज्ञा है। इन्हीं के वंशज वर्षों से यहां पूजा करते आए हैं। यहां पूजा महर्षि दुर्वासा के लिखे ग्रंथ सौभाग्य चिंतामणि के अनुसार होती है।
कामाक्षी मंदिर के गर्भगृह में ही है आदि शंकराचार्य का स्थापित किया श्रीचक्रम
मां कामाक्षी की मूल प्रतिमा के सामने श्रीचक्रम है, जिसे आदि शंकराचार्य ने स्थापित किया था। यह पूजा अर्चना की तांत्रिक विधि है। शास्त्री रामानंद के अनुसार इसे देवी के घर का ब्लूप्रिंट कहा जा सकता है। श्रीचक्रम में नीचे की ओर मुंह वाले पांच त्रिकोण हैं और चार ऊपर की ओर मुंह वाले त्रिकोण हैं। इसमें 44 कोने हैं। इसमें फूलों की पत्तियां बनी हैं और नौ स्तर है। बिंदु में कामाक्षी विराजमान हैं। इसे देवी का सूक्ष्म शरीर कहा जाता है। इसकी पूजा श्रद्धालुओं के सामने नहीं होती। नवरात्र, ब्रह्मोत्सव और पूर्णिमा को होने वाली नव आवरण पूजा में सिर्फ शास्त्री ही होते हैं।
इस विग्रह (मूर्ति) की कभी कोई तस्वीर नहीं खींची गई है। मुख्य पुजारी के अनुसार इसकी एक ही पेंटिंग है। बाजार या इंटरनेट पर मौजूद फोटो व पेंटिंग्स गर्भगृह विग्रह के नहीं हैं। पहली बार मंदिर प्रबंधन ने इस पेंटिंग के प्रकाशन की अनुमति दी है। यहां दिए अन्य फोटो उत्सव कामाक्षी के हैं। शृंगार व भ्रमण इन्हीं के होते हैं।
इस बार दिवाली भले ही कोरोनाकाल के बीच आई है, मगर इसमें भी कुछ खास है। भगवान राम के स्वागत के लिए अयोध्या सज गई है। दीपोत्सव शुरू हो चुका है। सरयू के 24 घाट छह लाख दीयों से रोशन हैं। चलिए, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ।
सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है…
BSE का मार्केट कैप 168 लाख करोड़ रुपए रहा। BSE पर करीब 55% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
2,856 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,599 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,063 कंपनियों के शेयर गिरे।
आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर
आज दीपावली है। घर में पूजा के लिए शाम 5:39 से 7:19 और रात 8:59 से 12:19 बजे तक का मुहूर्त है। दुकान, ऑफिस, फैक्ट्री और बैंकों में पूजा करनी हो तो दोपहर 1:24 से शाम 4:04 और रात 11:59 से 12:23 तक का मुहूर्त है।
दिवाली होने के कारण दिल्ली में सभी मेट्रो स्टेशन से आखिरी मेट्रो रात 10 बजे चलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दिवाली जैसलमेर में जवानों के साथ मना सकते हैं। हालांकि, अभी आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा नहीं की गई है।
LOC पर बारामूला में BSF जवान शहीद
पाकिस्तानी सेना ने शुक्रवार सुबह LOC पर सीजफायर तोड़ दिया। जम्मू-कश्मीर के बारामूला सेक्टर में BSF के सब-इंस्पेक्टर राकेश डोभाल समेत 5 जवान शहीद हो गए। 3 नागरिक भी मारे गए। जवाबी कार्रवाई में 11 पाकिस्तानी सैनिक ढेर हो गए। पाकिस्तान के बंकर और लॉन्च पैड भी सेना ने तबाह कर दिए।
बाइडेन के होम स्टेट से ग्राउंड रिपोर्ट
अमेरिका में प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन डेलावेयर स्टेट से हैं। इसे अमेरिका में स्माल वंडर भी कहा जाता है। आबादी करीब 10 लाख और राजधानी डोवर है। सबसे बड़ा शहर विल्मिंगटन है। स्टेट का 85% शराब कारोबार गुजरातियों के पास है। बाइडेन दीपावली मनाते हैं और गरबा भी करते हैं।
नवाज की बेटी के इमरान पर गंभीर आरोप
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम ने इमरान खान सरकार पर बेहद गंभीर आरोप लगाए। मरियम ने कहा- जब मैं जेल में थी तो वहां के प्रशासन ने मेरी बैरक के बाथरूम में भी कैमरे लगवा दिए थे। मरियम पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज की वाइस प्रेसिडेंट और सांसद हैं।
एमपी में 20 नवंबर से 9वीं से 12वीं की रेगुलर क्लास
मध्य प्रदेश में कोरोना के चलते आठ महीने से बंद स्कूल 20 नवंबर से खोलने की तैयारी है। स्कूल शिक्षा विभाग के मुताबिक, 9वीं से 12वीं तक की क्लास 20 या 25 नवंबर से शुरू की जा सकती हैं। कक्षा 6 से 8 तक की क्लास 1 दिसंबर से शुरू करने की बात कही गई है।
डीबी ओरिजिनल
दिल्ली के सबसे व्यस्त मार्केट से रिपोर्ट
त्योहारों की दस्तक होते ही सरोजिनी नगर मार्केट फिर से गुलजार होने लगा है। दिल्ली के सबसे चर्चित बाजारों में शामिल इस मार्केट में रौनक लौट आई है। लॉकडाउन की पाबंदियों और कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते महीनों तक ये बाजार वीरान रहा, लेकिन दिवाली का त्योहार व्यापारियों के लिए बड़ी उम्मीद लेकर आया है। हालांकि, बीते सालों की तुलना में इस बार सरोजिनी नगर में भीड़ कुछ कम है। पढ़ें पूरी खबर...
भास्कर एक्सप्लेनर
आदिवासी हिंदू हैं या सरना?
झारखंड विधानसभा ने हंगामेदार चर्चा के बाद 11 नवंबर को सरना आदिवासी धर्म कोड पर प्रस्ताव पारित कर दिया। अब यह प्रस्ताव केंद्र को जाएगा और वहां से मंजूरी मिलने के बाद ही जनगणना 2021 में आदिवासियों को नई धार्मिक पहचान मिल सकेगी। देशभर में सवाल उठ रहे हैं कि क्या आदिवासी हिंदू नहीं हैं? फिर उनके लिए अलग धर्म की आवश्यकता क्यों पड़ी? पढ़ें पूरी खबर...
सुर्खियों में और क्या है...
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने मेमोयर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी नर्वस बताया, जबकि डॉ. मनमोहन सिंह को शांत और ईमानदार बताया।
मप्र के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, 'खूब पटाखे चलाओ, कोई समय तय नहीं है।' जबकि, भोपाल कलेक्टर लवानिया ने केवल 2 घंटे पटाखे चलाने की छूट दी थी।
दुनिया में वैक्सीन बनाने वाली सबसे बड़ी दवा कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया दिसंबर तक कोवीशील्ड वैक्सीन के 10 करोड़ डोज तैयार कर लेगी।
अमेरिका में लगातार दूसरे दिन रिकॉर्ड कोरोना संक्रमित मिले। बुधवार को 1.35 लाख जबकि गुरुवार को एक लाख 40 हजार मामले सामने आए।
from Dainik Bhaskar /national/news/today-is-happy-diwali-government-will-soon-form-new-festival-in-bihar-and-deepalotsav-in-ramlalas-house-127914454.html
मंदिरों के शहर कांचीपुरम में श्री कांची कामाक्षी अम्मन मंदिर में दीपावली उत्सव बहुत खास है। रोशनी, शंखनाद, फूलों की महक, नादस्वरम जैसे दक्षिण भारतीय साजों के स्वर के बीच मंत्रों का उच्चारण का माहौल देवलोक सा अहसास करवा रहा है। यह एकमात्र ऐसी शक्तिपीठ है जिसमें कामाक्षी मां की एक आंख में लक्ष्मी और दूसरी में सरस्वती का वास है।
एक प्रतिमा की पूजा लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के रूप में की जाती है। आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित श्रीचक्रम सिर्फ यहीं हैं। मंदिर के प्रमुख श्रीकार्यम शास्त्री चेल्ला विश्वनाथ बताते हैं कि अयोध्या के राजा दशरथ महर्षि वशिष्ठ के कहने पर संतान प्राप्ति के लिए कामाक्षी की पूजा करने आए थे। यहां के 24 खंभों में से एक की पूजा के समय उन्हें मां की आवाज सुनाई दी कि एक वर्ष के भीतर उन्हें संतान प्राप्ति होगी। इस खंभे को संतान स्तंभ के तौर पर आज भी पूजा जाता है।
दीपावली पर यहां की परंपरा अन्य लक्ष्मी मंदिरों से अलग है। परंपरा के मुताबिक अगर किसी के माता-पिता या दोनों में से किसी एक की मौत हो जाए तो वो सालभर मां कामाक्षी के दर्शन करने नहीं आ सकता है। इसलिए दीपावली पर उत्सव कामाक्षी की पालकी गली-गली में परिक्रमा करती है। उनके दर्शन के लिए लोग घर के बाहर खड़े रहते हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी बताते हैं कि मां के पास 1000 करोड़ रुपए से अधिक के बेशकीमती गहने हैं। शृंगार में इस्तेमाल होने वाली मालाएं भी केसर, बादाम, काजू, कमल, चमेली, ऑर्किड, गुलाब से बनी होती हैं। 15-20 किलो की ये मालाएं 5 लाख रुपए में तैयार होती हैं।
यहां मंदिर का वैभव देखते ही बनता है।
मंदिर का मुख्य गुंबद 76 किलो सोने से बना है, जबकि नवरात्रि व कई अन्य अवसरों पर जिस रथ पर कामाक्षी सवार होती हैं वह 20 किलो सोने से बनाया गया है। हर साल मंदिर में भक्त 50 करोड़ रुपए का चढ़ावा चढ़ाते हैं। एक दिन में करीब दस हजार श्रद्धालु आते हैं। कामाक्षी का यह रूप आठ साल की कन्या का रूप है। अविवाहित पंडित मां की मूर्ति को नहीं छू सकते हैं। यहां केवल विश्वामित्र और भारद्वाज गोत्र के पंडितों को ही पूजा करने की आज्ञा है। इन्हीं के वंशज वर्षों से यहां पूजा करते आए हैं। यहां पूजा महर्षि दुर्वासा के लिखे ग्रंथ सौभाग्यचिंतामणि के अनुसार होती है।
सिंदूर लगाकर होती है लक्ष्मी रूप की पूजा
यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां मां लक्ष्मी की पूजा सिंदूर लगाकर की जाती है। इसके पीछे मान्यता है कि किसी विवाद के चलते विष्णु ने लक्ष्मी को कुरूप होने का श्राप दिया था। मां कामाक्षी की पूजा कर उन्होंने श्राप से मुक्ति पाई थी। उसी समय मां कामाक्षी ने कहा था कि वह यहां लक्ष्मी के साथ विराजेंगी। उन्हें चढ़ने वाले प्रसाद से लक्ष्मी की भी पूजा होगी, मगर लक्ष्मी को यहां आने वालों की मनोकामना पूरी करनी होगी। कामाक्षी को प्रसाद में सिंदूर चढ़ता है जो लक्ष्मी को चरणों से शीश तक लगाया जाता है।
कामाक्षी मंदिर के गर्भगृह में ही है आदि शंकराचार्य का स्थापित किया श्रीचक्रम
मां कामाक्षी की मूल प्रतिमा के सामने श्रीचक्रम है, जिसे आदि शंकराचार्य ने स्थापित किया था। यह पूजा अर्चना की तांत्रिक विधि है। शास्त्री रामानंद के अनुसार इसे देवी के घर का ब्लूप्रिंट कहा जा सकता है। श्रीचक्रम में नीचे की ओर मुंह वाले पांच त्रिकोण हैं और चार ऊपर की ओर मुंह वाले त्रिकोण हैं। इसमें 44 कोने हैं। इसमें फूलों की पत्तियां बनी हैं और नौ स्तर है। बिंदु में कामाक्षी विराजमान हैं। इसे देवी का सूक्ष्म शरीर कहा जाता है। इसकी पूजा श्रद्धालुओं के सामने नहीं होती। नवरात्र, ब्रह्मोत्सव और पूर्णिमा को होने वाली नवआवरण पूजा में सिर्फ शास्त्री ही होते हैं।
from Dainik Bhaskar /national/news/here-mother-kamakshi-is-crowned-as-an-8-year-old-girl-today-she-will-visit-devotees-from-door-to-door-on-diwali-127914437.html
(अनिरुद्ध शर्मा) इस बार कड़ाके की ठंड झेलने के लिए तैयार रहें। क्योंकि 20 दिसंबर से 20 जनवरी 2021 तक मौसम पर ‘ला नीना’ का असर रहेगा। ‘ला नीना’ के दौरान सर्दियों में तापमान सामान्य से कम रहता है। इसलिए इस साल अक्टूबर से ही तापमान गिर रहा है, अनुमान है इस बार सर्दी बीती सदी के सबसे ठंडे 10 सालों में शामिल हो सकती है।
शनिवार को पाकिस्तान की ओर से दीपावली पर साल का पहला मजबूत पश्चिमी विक्षोभ आएगा। इसके असर से पहाड़ी राज्यों में बर्फ गिर सकती है। दीपावली बाद मैदानी राज्यों में ठंड दस्तक देगी। आईएमडी पुणे के क्लाइमेट रिसर्च एंड सर्विस हेड डॉ. डीएस पई के अनुसार आईएमडी रिकॉर्ड 1901 से दर्ज हो रहा है।
इसके मुताबिक बीते 120 साल में इस साल से पहले 39 बार ‘ला नीना’ रहा। इस दौरान सर्दी ज्यादा रही। ‘ला-नीना’ के ट्रेंड को देख लगता है इस साल फरवरी तक तापमान सामान्य से कम रहेगा।
बीती सदी के जिन 10 साल में अधिक ठंड रही, उनमें से 6 साल ला नीना का असर रहा था
सर्दी का मौजूदा ट्रेंड बना रहा तो इस बार की सर्दी टॉप-10 ठंडे सालों में शामिल हो जाएगी
दीपावली बाद पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तरी मप्र में ज्यादा ठंड पड़ेगी
14 नवंबर को हमें पहले पश्चिमी विक्षोभ का असर दिखने लगेगा
मौसम एजेंसी स्काईमैट के विज्ञानी महेश पालावत के अनुसार सीजन के पहले प. विक्षोभ के कारण 14 नवंबर को पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी हो सकती है। दूसरी ओर मैदानी क्षेत्रों में हल्की बारिश हो सकती है। 17-18 नवंबर के बाद इन सभी क्षेत्रों में तापमान 10 डिग्री से कम रहने की संभावना है। अगला पश्चिमी विक्षोभ 21-22 नवंबर को आएगा।
20 दिसंबर के बाद न्यूनतम तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस कम रहेगा
‘इस साल कड़ाके की सर्दी पड़ेगी। नवंबर के शुरुआती दो हफ्तों में उत्तर के सभी राज्यों में रात का तापमान सामान्य से 2 से 3 डिग्री नीचे रहा। 20 दिसंबर से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरी प पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी यूपी, उत्तरी मप्र में ज्यादा ठंड पड़ेगी। यहां 20 से ज्यादा दिन बेहद ठंडे होंगे।’ -डॉ. कुलदीप श्रीवास्तव, डिप्टी डायरेक्टर जनरल, आईएमडी दिल्ली
ला नीना की वजह से इसलिए होता है मौसम में यह बदलाव
ला नीना (स्पेनिश में- छोटी बच्ची) इफेक्ट के समय हवा प्रशांत महासागर के गर्म सतही पानी को द. अमेरिका से इंडोनेशिया ले जाती है। गर्म पानी आगे बढ़ने से ठंडा पानी सतह पर आ जाता है और पूर्वी प्रशांत में पानी ठंडा हो जाता है। ‘ला नीना’ वाले साल में हवा तेज चलती है और भू-मध्य रेखा के पास पानी सामान्य से ठंडा हो जाता है। इसलिए भारत में भी रुक-रुककर शीत लहर चलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धन्वंतरि जयंती को आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा से आयुर्वेदिक पद्धति को बल मिला है। इस वर्ष हम पांचवा आयुर्वेदिक दिवस मना रहे है। इस कोरोनाकाल में लोगों ने आयुर्वेद के महत्व को समझा और कोरोना जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने के लिए अयुर्वेदिक दवाइयों और जड़ी बूटियों को प्रयोग कर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया।
आज आवश्यकता इस बात की है कि इस पद्धति को मुख्य चिकित्सा पद्धति के रूप में प्रचारित, प्रसारित किया जाएगा। यह बात शुक्रवार काे भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने आयुर्वेद दिवस समारोह के दौरान कही।
इस अवसर पर आदेश गुप्ता और महापौर ने आयुष विभाग के 200 कोरोना योद्धाओं को भी सम्मानित किया। इसके अलावा आयुर्वेदिक पद्धतियों और जड़ी बूटियों की उपयोगिता पर एक भव्य प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
डेढ़ लाख को आयुर्वेदिक दवा व काढ़ा किया वितरीत
महापौर अनामिका ने कहा है कि इस कोरोनाकाल में आयुष विभाग की समाज के प्रति जिम्मेदारी और बढ़ गई है, जिसे विभाग ने बखूबी निभाया है। दक्षिणी निगम के आयुष विभाग ने कोरोना महामारी में लोगों को आयुर्वेद पद्धति और जड़ी बुटियों के बारे में जागरूक किया। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अभी तक लगभग 1.5 लाख नागरिकों को आयुर्वेदिक दवाइयां और काढ़ा भी वितरित किया।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सरकार के स्कूलों के बच्चों की हैपीनेस क्लास में शामिल होकर इस बार बाल दिवस अनोखे तरीके से मनाया। उन्होंने कहा कि बाल दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि हमारे अभिभावक और अध्यापक अपनी भूमिका के बारे में विचार कर सकें।
सिसोदिया ने बच्चों से जाना कि लॉकडाउन के दौरान हैपीनेस क्लासेज ने किस तरह से उनकी भावनाओं पर सकारात्मक प्रभाव डाला। इस ऑनलाइन हैप्पीनेस स्पेशल क्लास का संचालन बच्चों ने स्वयं किया।
सिसोदिया ने कहा कि दो साल पहले हैपीनेस क्लासेज शुरू हुई थीं। कोरोना महामारी के दौरान भी यह जारी रहीं, जो कि छात्रों के लिए बहुत मुश्किल समय था।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से हमारे छात्र हैपीनेस क्लासेज को अनोखे तरीकों से अभिभावकों और दोस्तों के साथ साझा करते हैं, ऐसे में हमारे छात्रों को हैपीनेस करिकुलम का टीचर बनते देख बहुत खुशी होती है।
बच्चों ने उपमुख्यमंत्री के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि मार्च से स्कूल बंद होने के बाद हैपीनेस क्लासेज से उनके रोजाना के जीवन में बहुत से सकारात्मक बदलाव लाए।
एसकेवी, विनोद नगर पश्चिम की छात्रा हर्षिता रावत ने कहा कि वह रोज अपनी मां और बहन के साथ तीन मिनट मेडिटेशन करती है। उसने कहा कि लॉकडाउन के दौरान घर पर रहते हुए हैपीनेस क्लासेज सबसे बड़ी प्रेरणा का स्रोत थीं। इसने मुझे सिखाया कि घर पर लॉकडाउन का मुश्किल समय जल्द ही गुजर जाएगा और मैं दोबारा से अपने दोस्तों से मिल सकूंगी।
मैंने यह भी सीखा कि हमें अपने रिश्तों को सम्मान देना चाहिए और अपनी भौतिकवादी जरुरतों के ऊपर सोचना चाहिए, खासतौर से जब कई रिश्तेदारों ने अपनी नौकरियां खो दी हैं।एक अन्य छात्र पीयूष गुरु रानी ने कहा कि माइंडफुल क्लासेज ने मुझे निराशा के दौर से दूर करके मेरे मन को शांत करने में बहुत मदद की। इसने लॉकडाउन का बोर डम खत्म करने में मदद की।
बीपीएस केवी के छात्र गुरमीत धंजल ने कहा कि लॉकडाउन ने मुझे माइंडफुलनेस को अपनाना सिखाया। क्लास में जिन कहानियों को हम सुनते थे, उनसे हमने किसी भी तरह की चिंता और तनाव से दूर रहना सीखा।जिस समय अपने स्कूल की कमी सबसे ज्यादा महसूस होती थी, उस दौरान इन क्लासेज ने सभी क्लास मेट्स और टीचर्स को जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई।
2018 में लागू हुआ था हैप्पीनेस करिकुलम
दिल्ली सरकार के स्कूलों में जुलाई 2018 में नर्सरी से आठवीं कक्षा तक हैप्पीनेस करिकुलम लागू किया गया था। इसके अंतर्गत माइंडफूलनेस, कहानी सुनाना, गतिविधियों तथा अभिव्यक्ति पर जोर दिया जाता है। इन कक्षाओं को काफी खुला और संवाद केंद्रित बनाया जाता है। लॉकडाउन के दौरान भी स्टूडेंट्स ने इन कक्षाओं में हिस्सा लिया तथा खुद ही अपने परिवारों और मित्रों को भी इसका अभ्यास कराया।